"सारे सृजन तुमसे हैं" काव्य संग्रह की समीक्षा

 सारे सृजन तुमसे है: प्रेम कविताओं का कोलाज( अंत:मन के  संवाद से उत्पन्न कविताएँ)----


"सारे सृजन तुमसे हैं" नरेश गुर्जर का प्रेम कविताओं का संग्रह है। जिसे पढ़कर आप कवि की और भी कविताएँ पढ़ने के लिए उत्सुक हो जायेंगे।  सबसे बड़ी बात यह है कि यह इनका पहला काव्य संग्रह है और इसी के माध्यम से इन्होंने पाठकों के हृदय में अपना स्थान बना लिया है। इनकी कविताएँ स्वयं से किये संवाद है। अनकही बातें हैं जो काव्य संग्रह के रूप में हमारे समक्ष प्रस्तुत हुआ है। स्वयं कवि आत्मकथ्य में कहते हैं..."मेरी कविताएं दरअसल मेरे वह संवाद हैं जो मैंने अपने आप से किये हैं, वो बातें हैं जो हमेशा अनकही रहीं, वो बीज है जो कभी उग नहीं सके थे,
यह वो कल्पनाएं हैं जिनके कारण मैं कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए भी हरा-भरा रहा, वो पीड़ाएं हैं जो अंततः प्रेम में परिवर्तित हो गईं।
             बे-लिबास ही आ जाते हैं लबों पर
            मेरे ख़याल , उम्र में आज भी बच्चे हैं।"



इस काव्य संग्रह की पहली कविता है "चूमना"। जिसमें कवि प्रेम में समर्पण के भाव का संदेश देते हुए कहते हैं कि यदि कोई किसी से वाकई प्रेम करता है तो वह  उसके सुख-दुख में साथ रहे‌। उसके साथ हँसे और उसके साथ रोये। कवि उसके हंसी के साथ और उसके आँसुओं को भी चूमने की बात करते हैं। वे कहते हैं कि प्रेम को व्यक्त करने की सबसे सुंदर भाषा है 'चूमना'------

अगर तुम
वाकई प्रेम करते हो
उसकी पीड़ा से
तो चूमना उसकी पीठ को।
×..........×..........×
जिस खुशी से
चूमते हो तुम
उसकी हंसी को
उतनी ही खुशी से चूमना
उसके आंसुओं को

चूमना
प्रेम अभिव्यक्त करने की
सबसे सुंदर भाषा है।

हमारी माँ सिर्फ हमारी माँ ही नहीं होती। वह घर-आंगन में रहने वाले हर जीव-जन्तु गाय,बकरियों की माँ होती है। कवि "माँ के लिए" शीर्षक कविता में माँ के इस विराट रूप का वर्णन करते है। वे कहते हैं माँ जैसे ही घर लौटती है, गाय, बकरियां, कुत्ता आदि सभी प्रसन्न हो जाते हैं।

माँ नहीं होती है
सिर्फ
अपनी संतान की ही माँ
माँ तो
घर के हर हिस्से की
माँ होती है।

                               कवि नरेश गुर्जर


किताबें सदा हमारा साथ देतीं हैं। वह हमारे साथ चलना चाहती है। हमें कुछ सीखना है या कुछ जानना है तो वे किताबें ही हैं जो हमारा साथ देतीं हैं। कवि "किताब" शीर्षक कविता में कितना प्यारा और सुंदर चित्र प्रस्तुत करते हैं__

किताबों को
नहीं रखना चाहिए
एक के ऊपर एक

उनको रखना चाहिए
एक के साथ एक
खड़े आकार में
क्योंकि
वो खड़ी रहना चाहती है।
तुम्हारे साथ
जब भी तुम
खड़े होना चाहो।

दिनचर्या की छोटी-छोटी चीज़ों का कवि अपनी कविता में प्रयोग कर व्यापक संदेश दे जाते हैं। किसी का साथ जरूरत भर का नहीं होना चाहिए। यदि साथ है तो जीवन भर का होना चाहिए। कवि "जीवन भर" कविता में सुंदर तरीके से प्रस्तुत करते हैं__

वो नहीं रखती है
कप और प्लेट को
एक दूसरे से
अलग अलग

चाय पी लेने के बाद भी

वह जानती है
साथ जरूरत भर का नहीं होता
जीवन भर का होता है।

हमारा बचपन चाहे जैसा भी हो, ख़ूबसूरत जरूर होता है। बचपन में माँ द्वारा माथे पर काजल से चांद और सितारे बना देना, नानी-दादी द्वारा किस्से कहानियाँ सुनाना। कितना सुंदर थे वे दिन। कवि उन दिनों को याद करते हुए "उन दिनों" शीर्षक कविता में लिखते हैं_
सबसे खूबसूरत
हुआ करते थे
उन दिनों
जब माँ
माथे पर बना दिया करती थी
चांद और सितारे
काजल से
×....×....×
उन दिनों
नानी हुआ करती थी
किताब कहानियों की
और दादी के पास होते थे खजाने
दुआओं के
इन दिनों मैं अक्सर याद करता हूँ उन दिनों को
उन दिनों को भी तो आती होगी
मेरी याद
इन दिनों।

अकेलापन कभी-कभी लोगों को अवसादग्रस्त कर देता है। जब हमारे साथ कोई नहीं रहता, जब कोई बात करने वाला नहीं होता और हम अकेले घर में रहते हैं तो हमारे अंदर ऊब आदि उत्पन्न होने लगती है। पर कवि अकेलेपन को सकारात्मकता के दृष्टिकोण से देखते हुए एक कविता "अकेला आदमी" में लिखते हैं___
अकेला आदमी
कभी अकेला नहीं होता है

वो प्रेम करता है
कमरे की हर एक वस्तु से
जो साथी है
उसके अकेलेपन की।

इनकी हर कविता प्रेम से परिपूर्ण है। पढ़ते समय ऐसा लगता है कि एक ही कविता को बार-बार पढ़ें। कोई भी रचना तभी सफल होती है जब उसका पाठक के साथ साधारणीकरण हो सके और नरेश गुर्जर का यह काव्य संग्रह उसमें सफल हैं। इनकी कविताएं पढ़ना प्रेम के सागर में गोता लगाने जैसा है। आप कितना भी उदास हो यदि इस पुस्तक को आपने पढ़ा तो आपके होठों पर एक मुस्कान जरूर आ जाएगी।

Comments

  1. बहुत खूब भईया ❣️❣️❣️

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  2. बहुत आभार मित्र।❤️

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  3. 😍😍😍वाह!! आपकी समीक्षा पढ़ कर मेरे भी चेहरे पर मुस्कान आ गई ।😊😊🙇

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