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Showing posts from October, 2020

"सारे सृजन तुमसे हैं" काव्य संग्रह की समीक्षा

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  सारे सृजन तुमसे है : प्रेम कविताओं का कोलाज( अंत:मन के  संवाद से उत्पन्न कविताएँ)---- "सारे सृजन तुमसे हैं" नरेश गुर्जर का प्रेम कविताओं का संग्रह है। जिसे पढ़कर आप कवि की और भी कविताएँ पढ़ने के लिए उत्सुक हो जायेंगे।  सबसे बड़ी बात यह है कि यह इनका पहला काव्य संग्रह है और इसी के माध्यम से इन्होंने पाठकों के हृदय में अपना स्थान बना लिया है। इनकी कविताएँ स्वयं से किये संवाद है। अनकही बातें हैं जो काव्य संग्रह के रूप में हमारे समक्ष प्रस्तुत हुआ है। स्वयं कवि आत्मकथ्य में कहते हैं..."मेरी कविताएं दरअसल मेरे वह संवाद हैं जो मैंने अपने आप से किये हैं, वो बातें हैं जो हमेशा अनकही रहीं, वो बीज है जो कभी उग नहीं सके थे, यह वो कल्पनाएं हैं जिनके कारण मैं कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए भी हरा-भरा रहा, वो पीड़ाएं हैं जो अंततः प्रेम में परिवर्तित हो गईं।              बे-लिबास ही आ जाते हैं लबों पर             मेरे ख़याल , उम्र में आज भी बच्चे हैं।" इस काव्य संग्रह की पहली कविता है "चूमना"। जिसमें कवि प्रेम में समर्पण के भाव का संदेश देते हुए कहते हैं कि यदि

कवि निशांत का काव्य संग्रह "जीवन हो तुम" की समीक्षा

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 जीवन हो तुम : प्रेम की अतल गहराइयों में डूबी हुई प्रेम कविताएँ ________________________________________ ________________________________________ आज के समय के चर्चित कवि "निशांत" प्रेम के कवि हैं।  आप प्रेम करते हैं या प्रेम को गहनता से जानना है तो इनकी प्रेम कविताओं का संग्रह "जीवन हो तुम" से मुलाक़ात कर सकते हैं। जब आप इनसे मुलाकात कीजिएगा तब यह मुलाकात दोस्ती में तब्दील हो जाएगी । धीरे-धीरे आप में एवं इनकी कविताओं के बीच यह दोस्ती और गाढ़ी होती जाएगी जिसे पढ़ने के पश्चात आप उसे अपने हृदय में बसा लेंगे। जब आप इनकी कविताओं को पढ़िएगा तब इनकी हर पंक्तियों से एक लगाव हो जाएगा और आप इनकी कविताओं के प्रेम रूपी सागर में कब तैरते हुए इस पार से उस पार तक चले जाते हैं पता भी नहीं चलता लेकिन जब पुस्तक पढ़ कर समाप्त करते हैं तब कवि का प्रेम पाठक के जीवन में एक सकारात्मकता का संचार करते हुए जीवन में प्रेम का गूढ़ अर्थ सिखा जाता है---- उन क्षणों में जब एक स्त्री से बात करो अपना पुरुषत्व उसे अर्पण कर दो तुम मैं मेरा तक भूल जाओ उसकी आँखों में देखो वहाँ भी वही रहती है उस समय