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लापता लेडीज : गुमशुदा 'जिंदगी' की तलाश

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  आज से सिर्फ बीस-तीस वर्ष पहले गाँव में जन्म लेना और आसानी से अपनी जिंदगी अपनी महत्वाकांक्षा के अनुसार जीना बहुत मुश्किल थी और अगर आपका जन्म एक लड़की के रूप में हुआ हो तब वह मुश्किल सौ गुना बढ़ जाती है। जब लड़की माईके में रहती है उसकी जिंदगी घर से खेत, खेत से घर के ईर्द गिर्द घूमती रहती है और जब वह ससुराल जाती है तो वहाँ इन सब के अलावा पति की परिचर्या भी करनी पड़ती है। उसका हर कहा सुनना पड़ता है। वह पति, परमेश्वर बन जाता है। माईके में उसे इस प्रकार ढाला जाता है कि थोड़ी बड़ी होते ही उसके मन में शादी के सपने सजने लगते हैं। पति को परमेश्वर मानना। पति का नाम मुँह से न लेना। हमेशा घुँघट काढ़े रहना आदि- आदि अनेक ऐसे मोह है जिसके पाश में गाँव-देहात की लड़की जन्म के बाद से ही आने लगती है। इसी पाश रूपी जिंदगी में से यदि कोई गाँव की लड़की पढ़ने-लिखने का सपना देखती है। पढ़ कर कुछ बनने का सपना देखती है तब उसे विविध प्रकार से इमोशनल ब्लैकमेल किया जाता है। "जैसे माता पिता का यह कहना कि यदि तुम हमारी बात नहीं सुनोगी तो हमारा मरा मुँह देखोगी।" वह लड़की जिसका माता-पिता के सिवा कोई अपना है न