"सारे सृजन तुमसे हैं" काव्य संग्रह की समीक्षा

सारे सृजन तुमसे है : प्रेम कविताओं का कोलाज( अंत:मन के संवाद से उत्पन्न कविताएँ)---- "सारे सृजन तुमसे हैं" नरेश गुर्जर का प्रेम कविताओं का संग्रह है। जिसे पढ़कर आप कवि की और भी कविताएँ पढ़ने के लिए उत्सुक हो जायेंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि यह इनका पहला काव्य संग्रह है और इसी के माध्यम से इन्होंने पाठकों के हृदय में अपना स्थान बना लिया है। इनकी कविताएँ स्वयं से किये संवाद है। अनकही बातें हैं जो काव्य संग्रह के रूप में हमारे समक्ष प्रस्तुत हुआ है। स्वयं कवि आत्मकथ्य में कहते हैं..."मेरी कविताएं दरअसल मेरे वह संवाद हैं जो मैंने अपने आप से किये हैं, वो बातें हैं जो हमेशा अनकही रहीं, वो बीज है जो कभी उग नहीं सके थे, यह वो कल्पनाएं हैं जिनके कारण मैं कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए भी हरा-भरा रहा, वो पीड़ाएं हैं जो अंततः प्रेम में परिवर्तित हो गईं। बे-लिबास ही आ जाते हैं लबों पर मेरे ख़याल , उम्र में आज भी बच्चे हैं।" इस काव्य सं...